इलेक्ट्रिक वाहन▬ क्या, कैसे,
भविष्य आसानी से समझें हिंदी में Electric Vehicle
–What is, its working, Future, etc. In Hindi
शहरों में होने वाले प्रदूषण तथा पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण लोग अब इलेक्ट्रिक वाहन को अपना रहे हैं। दुनिया भर की सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके स्पेयर पार्ट्स के उत्पादन पर जोर दे रही हैं। इसमें भारत सरकार भी पीछे नहीं है। 2030 तक भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों में बेतहासा वृद्धि होने की संभावना है। भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के लिए कई तरह की स्कीमें चला रही है। आइए हमलोग इलेक्ट्रिक वाहन क्या होते हैं, ये कैसे कार्य करते हैं, कितने प्रकार के होते हैं आदि के बारे में इस प्लइनड्राइव्स पर पूरे विस्तार से समझेंगे।
- इलेक्ट्रिक वाहन क्या होता है? What is an Electric Vehicle? In Hindi
- इलेक्ट्रिक वाहन कैसे काम करता है? How does an Electric Vehicle Work? In Hindi
- इलेक्ट्रिक वाहन कितने प्रकार के होते है? How Many Types of Electric Vehicle in Hindi
- इलेक्ट्रिक वाहनों का इतिहास क्या है? What is the History of Electric Vehicles in Hindi
- इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य क्या है? What is the Future of Electric Vehicles
- देश में ईवी के बाजार का भविष्य Future of EV Market in the India
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियाँ Electric vehicle companies in india
- FAQ
इलेक्ट्रिक
वाहन क्या होता है? What is an Electric
Vehicle? In Hindi
इलेक्ट्रिक
वाहन ऐसा वाहन होता है जो बिजली से चलता है, पेट्रोल-डीजल से नहीं। पेट्रोल-डीजल
से चलने वाले वाहन में दहन की क्रिया होती है जिससे ऊर्जा उत्पन्न होता है और
उससे वाहन चलता है। इलेक्ट्रिक वाहन में ऐसा नहीं होता है। इसमें एक बैटरी होता है
जिसे इलेक्ट्रिक से चार्ज किया जाता है ओर उस बैटरी से मोटर को ऊर्जा मिलती है
जिससे वाहन चलता है। जो वाहन बिजली से चलते हैं उसमें बैटरी डीसी पावर पैदा करती
है। ऐसी गाडि़यों में तीन फेज एसी (AC) इन्डक्शन मोटर का उपयोग किया
जाता है। बैटरी के डीसी सप्लाई को इन्वर्टर से एसी (AC)
में बदल दिया जाता है। ऐसे में एसी (AC) सप्लाई को तीन फेज
इन्डक्शन मोटर चलाती है। गियर बॉक्स मोटर के साथ लगा होता है। ई-वाहन में
इलेक्ट्रिक मोटर मैकेनिकल गियर बॉक्स को घुमाया जाता है। इसमें इलेक्ट्रिक की जो
शक्ति होती है उसे मैकेनिकल शक्ति में चेंज हो जाती है। इलेक्ट्रिक वाहन को ईवी (EV) कहा जाता है। EV
का फुल फॉर्म होता है Electric Vehicle ।
इलेक्ट्रिक वाहन कैसे काम करता है? How does an Electric Vehicle Work? In Hindi
कोई भी इलेक्ट्रिक वाहन बिजली (Electric)
से ही चलते हैं। जैसे पंखा इलेक्ट्रिक से चलता है, मिक्सर-जूसर-ग्राइंडर
इलेक्ट्रिक से चलता है और कपड़े पर आयरन करने वाला उपकरण ईस्त्री इलेक्ट्रिक से
चलता है वैसे ही ईवी भी इलेक्ट्रिक से चलते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन में ईंधन के रूप
में इलेक्ट्रिसिटी यानी बिजली का इस्तेमाल होता है। इसमें लिथियम-आयन बैटरी का
उपयोग होता है। इस तरह के वाहन में इलेक्ट्रिक एनर्जी को मैकेनिकल एनर्जी में बदल
दिया जाता है।
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Electric car |
ईवी की बैटरी Battery in EV
वाहन में लगी बैटरी एक दिल के समान होता है इससे डीसी सप्लाई
होती है तथा डीसी को एसी में बदलने के लिए इन्वर्टर का उपयोग किया जाता है। इन्वर्टर
से निकलने वाला एसी सप्लाई थ्री फेज इंडक्शन मोटर को दिया जाता है। इससे मोटर को
पावर मिलता है इससे मोटर घूमता है। घूमता हुआ मोटर और घूमता हुआ वाहन के बीच में
एक गियर बॉक्स होता है। इसी गियर बॉक्स से उत्पन्न हुआ मैकेनिकल पावर वाहन को
गति देता है। जिससे वाहन चलते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन इसमें लगी बैटरी की कैपेसिटी
के आधार पर चलते हैं। वाहन कितने किलोमीटर चलते हैं यह बैटरी की क्षमता के आधार पर
होता है। बैटरी के डिस्चार्ज होने पर इसको चार्ज करके चलाया जाता है।
ईवी का मोटर Motor in EV
इलेक्ट्रिक वाहन में इलेक्ट्रिक मोटर होता है जो
इलेक्ट्रिक ऊर्जा को मैकेनिकल ऊर्जा में बदल देता है। तीन फेज मोटर एसी सप्लाई से
चलाई जाती है। मोटर की स्पीड लगभग 18000 आरपीएम होती है। इससे ही मोटर को गति मिलती
है। वाहन का टॉर्क मोटर की क्षमता पर निर्भर करता है। सभी इलेक्ट्रिक वाहन में एक
चार्जिंग प्वाइंट होता है। इसका प्रयोग प्रतिदिन करना होता हैा इससे बैटरी चार्ज
किया जाता है। प्लग से चार्जिंग प्वाइंट को बाहर के पावर सप्लाई के साथ जोड़
दिया जाता है जिससे बैटरी चार्ज होती है।
इलेक्ट्रिक वाहन में बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम यानी बीएमएस (Battery Management System –BMS) होता है। बैटरी मैनेजमेंट
सिस्टम बैटरी में होने वाली सभी गतिविधियों को मैनेज करती है। जैसा कि हम जानते
हैं इलेक्ट्रिक वाहनों में बहुत बैटरी सेल्स लगे होते हैं। इनकी चार्जिंग और डिस्चार्जिंग
की प्रक्रिया चलती रहती है। बैटरी सेल्स के चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के दौरान
वोल्टेज और बिजली के करेंट का स्थिर अवस्था में रहना आवश्यक होता है।
पावर कंट्रोल यूनिट Power Control Unit—PCU
इलेक्ट्रिक
वाहन में जिस तरह बैटरी दिल का काम करता है उसी तरह पावर कंट्रोल यूनिट (Power Control Unit—PCU) ईवी
में मस्तिष्क का काम करता है। पीसीयू इलेक्ट्रिक वाहन में सबसे महत्वपूर्ण काम
करता है। यह यूनिट वाहन को पूरे नियंत्रण में रखता है। वाहन की स्पीड, बैटरी,
सेफ्टी तथा आरपीएम जैसे सभी पैरामीटर पीसीयू से मिलते हैं। बैटरी की चार्जिंग-डिस्चार्जिंग
की प्रक्रिया का पता पीसीयू से चलता है। वाहनों की सुरक्षा का सिग्नल भी इसी से
मिलता है। मोटर का कितना आउटपुट है, इसकी भी जानकारी पीसीयू से मिलती है।
रिजेनरेटिव ब्रेकिंग यूनिट Regenerative Breaking Unit
इलेक्ट्रिक
वाहन को रोकने लिए रिजेनरेटिव ब्रेकिंग यूनिट (Regenerative Breaking Unit) का प्रयोग होता है। इस सिस्टम की विशेषता यह है कि जब ब्रेक लगाया जाता है
तो बिजली पैदा होती है ओर इस बिजली से बैटरी चार्ज होती है। जब ब्रेक लगाया जाता
है तो इलेक्ट्रिक सप्लाई बंद हो जाता है लेकिन काइनेटिक एनर्जी के कारण मैकेनिकल
ऊर्जा मिलती है। इस प्रकार जो मोटर होता है वह जेनरेटर का कार्य करता है।
इलेक्ट्रिक वाहन कितने प्रकार के होते है? How Many Types of Electric Vehicle in Hindi
इलेक्ट्रिक वाहन तीन तरह के
होते हैं। 1. बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (Battery Electric Vehicles--BEVs), 2. हाईब्रिड
इलेक्ट्रिक वाहन (Hybrid Electric Vehicles—HEVs), 3. प्लग-इन
इलेक्ट्रिक वाहन ( Plug-in-Electric
Vehicles—PEVs)। अब
इसका विस्तार से वर्णन करेंगे।
1 बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (Battery
Electric Vehicles—BEVs)
बैटरी
इलेक्ट्रिक वाहन (Battery Electric Vehicles—BEVs)▬जो इलेक्ट्रिक वाहन मुख्य रूप से बैटरी से चलते हैं उसे
बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन कहते हैं। पहले बैटरी को चार्ज किया जाता है तथा उस बैटरी
से मोटर को ऊर्जा मिलती है और वाहन चलते हैं। इस तरह के वाहन में कोई गैसोलीन इंजन
का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें पेट्रोल-डीजल का भी प्रयोग नहीं किया जाता
है। इस वाहन में कोई फ्यूल टैंक नहीं होता है। यह वाहन पूरी तरह पावर पर ही निर्भर
होते हैं। जहाँ बैटरी का चार्ज समाप्त हुआ वहीं वाहन रूक जाते हैं। ऐसे वाहन में
रीजनरेटिव का प्रयोग किया जाता है और यह वाहन आवाज नहीं करते हैं। इसे पर्यावरण के
अनुकूल माना जाता है। लेकिन ऐसे वाहन को लंबी दुरी के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
2हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (Hybrid
Electric Vehicles—HEVs)
हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन (Hybrid
Electric Vehicles—HEVs)▬हाईब्रिड
इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल और इलेक्ट्रिक पावर दोनों से चलते हैं। इस वाहन में
इलेक्ट्रिक मोटर के अलावा आईसी इंजन होता है। जब तक बैटरी में पावर होती है वाहन
बैटरी से चलते है और जब बैटरी खत्म हो जाती है तो फ्युल की सहायता से हाइब्रिड
इंजन को स्टार्ट कर दिया जाता है। आईसी इंजन मोटर को सीधा पावर सप्लाई नहीं करता
है यह पहले हाईब्रिड इंजन से जेनरेटर स्टार्ट होता है तथा जेनरेटर बैटरी को चार्ज
करता है तब मोटर को पावर मिलता है और वाहन चलते है। इसमें एक ही समय में पावर की
सप्लाई होती है और चार्ज भी होता रहता है। HEV वाहन
में कम फ्युल का लगता है ओर रीजनरेटिव का प्रयोग होता है। सबसे बड़ी बात यह होती
है इस वाहन में ब्रेक लगाने पर बैटरी चार्ज होने लगती है। चूँकि इस वाहन में इंजन
होता है इसलिए मेन्टेनेंस का खर्च बढ़ जाता है।
3 प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहन (
Plug-in-Electric Vehicles—PEVs)
प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहन (
Plug-in-Electric Vehicles—PEVs) ▬इसे
प्लग-इन-हाईब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन भी कहते हैं। इस वाहन में एक गैसोलीन या डीजल
इंजन को एक इलेक्ट्रिक मोटर ओर एक बड़ी बैटरी से कनेक्ट किया जाता है तथा इसे
इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन में प्लग लगाकर चार्ज किया जाता है। ऐसे वाहन
दो मोड में चलते हैं। एक मोड वह होता है जिसमें बैटरी और मोटर वाहन को पावर देते
हैं तथा दूसरा मोड हाईब्रिड होता है जिसमें बिजली और गैसोलीन दोनों कार्य करते
हैं। ई-बस, ई-ट्रेन, मिलीट्री के लिए वाहन प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहन ही होते हैं।
प्लग-इन इलेक्ट्रिक वाहन लम्बी दुरी के लिए बहुत ही उपयुक्त होते हैं। यह वाहन
काफी महंगे होते हैं। इसकी कीमत लाखों-करोड़ों में होती है।
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Plug-in Electric vehicle |
इलेक्ट्रिक वाहनों का इतिहास क्या है? What
is the History of Electric Vehicles in Hindi
इलेक्ट्रिक वाहनों के इतिहास
के विषय में कई स्त्रोतों से भिन्न-भिन्न तरह की जानकारियाँ मिलती है। इन
सूचनाओं के आधार यह तय कर पाना मुश्किल है कि ईवी का वास्तविक इतिहास कहाँ से
शुरू होता है। फिर भी इन सूचनाओं के आधार पर बहुत महत्वपूर्ण बातों का पता चलता
है। एक जानकारी के अनुसार 1828 ई. में हंगरी के एक भौतिक वैज्ञानिक अनॉयस जेलदिक
ने एक इलेक्ट्रिक मोटर बनाया था। इसी कं आधार पर उन्होंने एक छोटी सी इलेक्ट्रिक
कार का निर्माण किया था। एक दूसरे स्त्रोत के अनुसार 1832 में स्कॉटलैंड के
वैज्ञानिक रॉबर्ट एंडर्सन ने एक अपरिष्कृत इलेक्ट्रिक कैरिज बनाने की कोशिश की
थी। फिर 1837 में स्कॉटलैंड के रॉबर्ट डेविडसन ने भी पहला इलेक्ट्रिक स्वचालित
रेल इंजन बनाया था। इस रेल इंजन को गैल्वेनिक बैटरी से चलाया जाता था। डैविडसन के
बाद गलवानी नामक एक वैज्ञानिक ने एक बड़ा रेल इंजन बनाया।
एक दूसरे स्त्रोत के अनुसार
1835 में नीदरलैंड के एक प्रो. सिब्रैंडस स्टैटिंग और जर्मनी के उनके एक सहयेगी
क्रिस्टोफर बेकर ने भी गैर-रिचार्जेबल प्राथमिक सेल द्वारा संचालित एक छोटी सी
इलेक्ट्रिक कार बनाई थी। इसी तरह का एक आविष्कार 1859 ई. में फ्रांस के एक भौतिक
वैज्ञानिक गैस्टन प्लांटे ने किया। उन्होंने लेड-एसिड बैटरी का आविष्कार किया
था। बैटरी के इस आविष्कार के बाद 1881 ई. में फ्रांस के एक दूसरे वैज्ञानिक
केमिली अल्फोंस फाउरे ने बैटरी की एक नई डिजाइन तैयार किया, जिससे इलेक्ट्रिक
वाहन बनाने में काफी सहुलियत हो गई।
फ्रांस तथा इंग्लैंड इलेक्ट्रिक वाहन EVs in France and England
विश्व के दो विकासित देश
फ्रांस तथा इंग्लैंड इलेक्ट्रिक वाहनो के क्षेत्र में अधिक प्रगति की है। लेकिन
1888 में विश्व की पहली इलेक्ट्रिक कार एक जर्मन इंजीनियर एंड्रियास फ्लॉकन ने
बनाया था। 1890 के दशक में अमेरिका के डेस मोइनेस, आयोवा के रहनेवाले विलियम मॉरिसन
ने इलेक्ट्रिक कार बनाया जो 23 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलती थी और इसमें
छह व्यक्तियों की बैठने की व्यवस्था थी।
इस तरह हम देखते हैं कि 18 वी
सदी के अंत तथा 19 वी सदी के शुरू में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रचलन जोर पकड़ने लगा।
18 वी सदी के अंत में कई इलेक्ट्रिक वाहन का निर्माण हुआ जो सौ किलोमीटर प्रति
घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती थी। 1890 से 1900 तक आते-आते लोगों का झुकाव
इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर होने लगा तथा कुछ देशों में इलेक्ट्रिक वाहन चलने लगे।
इंगलैंड की राजधानी लंदन में वाल्टर वर्सी ने 1897 में इलेक्ट्रिक का एक बेड़ा
शुरू कर दिया। 1897 ई. में ही न्यूयॉर्क में भी इलेक्ट्रिक कैब सेवा शुरू हुई।
1900 के दशक के शुरूआत में अमेरिका में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या बढ़ने लगी। उस
समय वहाँ लगभग 30 हजार से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाडि़याँ चलने लगी तथा 1940 के दशक
में तो अमेरिका में लगभग 300 इलेक्ट्रिक कार के रजिस्टर्ड निर्माता हो गये।
टोयटा कंपनी इलेक्ट्रिक कार Toyta Electric Car
वर्ष 1980 में जापान के टोयटा कंपनी ने पहली कमर्शियल इलेक्ट्रिक
कार निकाला। इसके एक साल के भीतर ही पूरे विश्व में लगभग 10,000 इलेक्ट्रिक कारों
की बिक्री हुई। वर्ष 2008 में टेस्ला कंपनी ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार बनाई। अब
तो विश्व के लगभग सभी कार कंपनियों ने इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण कर रही है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन Electric Vehicles in India
जहाँ तक भारत की बात है देश में
पहली बार ईडी इलेक्ट्रिक कंपनी ने जापानी कंपनी यासकावा इलेक्ट्रिक (Yaskawa Electric) के साथ मिलकर वर्ष 1993 ई. में ‘ओवबर्ड’ (Ovebird) नाम से देश की पहली इलेक्ट्रिक कार लॉन्च किया। वर्ष 1996 ई. में भारत मे
स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड ने एक तिपहिया इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च किया। इसका नाम
विक्रम साफा (Vidram Safa) था। वर्ष 2000 ई. में भेल (BHEL) ने एक अठारह सीटों वाली
इलेक्ट्रिक बस बनाया। वर्ष 2007 ई. में हीरो साइकिल ने यू. के. बेस्ड अल्ट्रा
मोटर के साथ एक समझौता किया जिसके तहत बाइक बनाने की एक श्रृंखला शुरू कर दी। इसके
बाद टाटा महिंद्रा. मारुति जैसी कार निर्माता धड़ाधड़ कार बनाना शुरू कर दिया। इन
कंपनियों की कारें आज बेस्ट सेलिंग कार बन गई हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य
क्या है? What
is the Future of Electric Vehicles
आने वाले समय में भारत में
इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में बड़ा बदलाव होने वाता है तथा इस बदलाव से देश में
बहुत बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन के बाजार को स्थापित कर सकता है। एक सरकारी आँकड़ा के
अनुसार वर्तमान में इस देश के अन्दर लगभग 9.66 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन चल
रहे हैं। इनमें ई-रिक्सा, इलेक्ट्रिक स्कूटर तथा इलेक्ट्रिक कार शामिल हैं। इस
संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। इसका कारण यह है कि भारत सरकार
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर टैक्स की छूट देती है। देश में लगभग 27 प्रतिशत
वायु प्रदूषण सिर्फ पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों से होता है। इलेक्ट्रिक वाहन
प्रदूषण नहीं फैलाती है। सरकार प्रदूषण से मुक्त होने के लिए खुद इलेक्ट्रिक वाहन
को खरीदने में लोगों की मदद करती है। इलेक्ट्रिक वाहन ज्यादा टिकाऊ होते हैं। इस
तरह हम देखते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन से कई लाभ जैसे कम कीमत, प्रदूषण मुक्त,
अधिक लम्बी आयु तथा न के बराबर टैक्स आदि के कारण लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीद रहे
हैं।
देश में ईवी के बाजार का
भविष्य Future
of EV Market in the India
ईवी
के प्रति लोगों के रुझान से ऐसा लगता कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनो के बाजार का
भविष्य काफी उज्ज्वल है। संकेत है कि देश में वर्ष 2030 ई. तक लगभग 30 प्रतिशत
प्राइवेट इलेक्ट्रिक व्हीकल हो सकते हैं तथा 70 प्रतिशत कमर्सियल इलेक्ट्रिक वाहन
और 80 प्रतिशत तक स्कूटर तथा थ्री व्हीलर एवं 2050 तक यह आंकड़ा सौ प्रतिशत हो
जाने की उम्मीद है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन
कंपनियाँ Electric vehicle companies
in india
पर्यावरण
को प्रदूषित होने से रोकने के लिए विश्व स्तर पर प्रयास जारी है। भारत भी इसमें
पीछे नहीं है। वाहन से होने वाले प्रदूषण वास्तव में एक चिंता का विषय बना हुआ
है। इसलिए भारत सरकार पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों के स्थान पर इलेक्ट्रिक
वाहनों को प्रोत्साहन दे रही है। धीरे-धीरे देश में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के
क्षेत्र में बहुत-सी कंपनियाँ उतर रही हैं। जिनका नाम शीर्ष पर है, वे निम्नलिखित
हैं।
हिरो इलेक्ट्रिक Hero Electric
यह
देश में इलेक्ट्रिक स्कूटर बनाने का सबसे बड़ी कंपनी है। इसने भारतीय वाहनों जैसे
फोटॉन. फ्लैश ला. ऑप्टिमा तथा हिरो इलेक्ट्रिक एनएक्स की एक बड़ा रेंज मार्केट
में उतारा है।
महिंद्रा इलेक्ट्रिक Mahindra Electric
इस
कंपनी ने देश में कई इलेक्ट्रिक कार लाकर इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में
क्रान्ति ला दिया है। इसने इलेक्ट्रिक वैन. इलेक्ट्रिक ऑटो. इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर
जैसे ईवी पेश की है।
टाटा इलेक्ट्रिक Tata Electric
टाटा
मोटर्स ने ईवी की एक विशाल श्रृंखला पेश की है। हसने भारत में टाटा टिगोर तथा टाटा
टियागो जैसे इलेक्ट्रिक कार एवं अल्ट्रा इलेक्ट्रिक बस के साथ ईवी के क्षेत्र में
काफी योगदान किया है।
अशोक
लेलैंड इलेक्ट्रिक Ashok Leyland Electric
अशोक
लेलैंड विश्व की चौथी बड़ी बस निर्माता है। इस कंपनी ने कई इलेक्ट्रिक वा बाजार
में उतार चुकी है।
बीवाइडी
ओलेक्ट्रा BYD
Olectra
इलेक्ट्रिक
बसों के निर्माण में यह कंपनी देश में अग्रणी है। इस कंपनी ने 12 मीटर लंबाई वाली
लगभग 40 इलेक्ट्रिक बसों को हैदराबाद, तेलंगाना, दिल्ली तथा पुणे में पेश किया
है।
ओला
इलेक्ट्रिक Ola
Electric
यह
कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक सार्वजनिक परिवहन वाहन चला रही हैा इसने देश में हजारो
ई-रिक्सा लॉन्च करने के साथ प्रमुख भारतीय शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए
चार्जिंग स्टेशन खोलने की योजना में व्यस्त है।
टेस्ला
इलेक्ट्रिक Tesla
Electric
इलेक्ट्रिक
कार बनाने में टेस्ला कंपनी देश में मुख्य भूमिका निभा रही है। इसने कई महत्वपूर्ण
कार बाजार में उतारा है! इस कंपनी की 4 मॉडल जैसे टेस्ला मॉडल 3, टेस्ला मॉडल
एस, टेस्ला मॉडल एक्स तथा टेस्ला मॉडल वाई।
इसके
अलावा देश में कई और बड़ी कंपनियाँ है जो इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में काम कर
रही है जैसे- ओकिनावा, एंथर एनर्जी, किया मोटर्स, कबिरा मोबिलिटी, एमजी मोटर्स के
अलावा और भी है जिसकी चर्चा करना यहाँ संभव नहीं है।
FAQ
इलेक्ट्रिक
वाहन कितने प्रकार के होते हैं?
इलेक्ट्रिक
वाहन तीन तरह के होते है़ – 1. बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों 2. प्लग-इन हाइब्रिड
इलेक्ट्रिक वाहन और 3. हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहन।
इलेक्ट्रिक वाहन कितनी तेजी से जा सकती है?
जितना तेज आप चाहें। एक ऑल-इलेक्ट्रिक
स्पोर्ट्स कार जिसमें 0-60 मील प्रति घंटे का समय 3.6 सेकंड और 245 मील की ड्राइविंग रेंज चार्ज
के बीच होता है।
एक इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने में कितना समय लगता है?
इलेक्ट्रिक
वाहन को चार्ज करना कई बातों पर निर्भर करता है जैसे वाहन का प्रकार, चार्जिंग उपकरण, पावर स्रोत
इत्यादि। बड़े बैटरी पैक को चार्ज करने में छोटे पैक की तुलना में अधिक समय लग
सकता है।
इलेक्ट्रिक
वाहन में इंजन नहीं होता है। इसमें रिचार्जेबल बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर होते हैं।
हाइब्रिड
शुद्ध इलेक्ट्रिक वाहन नहीं होता है। एक हाइब्रिड बिजली से और पारंपरिक ईंधन से चलता
है।
इलेक्ट्रिक वाहन में किस प्रकार की बैटरी का उपयोग होता है?
इलेक्ट्रिक
वाहन में चार मुख्य प्रकार की बैटरियाँ होती है। इनमें लिथियम-आयन बैटरी सबसे प्रमुख
है। ईवी में निकल-मेटल हाइड्राइड बैटरी, लेड-एसिड बैटरी और अल्ट्राकैपेसिटर बैटरी का
भी उपयोग किया जाता है।
क्या ईवी बैटरी को बदला जा सकता है?
बिल्कुल
बदला जा सकता है। इसे बैटरी स्वैपिंग कहते हैं।
300 से
ज्यादा मील तक जा सकता है।
प्लग-इन वाहन को चार्ज करने में कितना खर्च होता है?
एक ऑल-इलेक्ट्रिक कार या स्कूटर को चार्ज करने
में औसतन 40 रुपये से कम खर्च
होता है।
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